छोटे भाई को कुसंगति से बचने के लिए पत्र - Letter to younger brother?
यदि आपका छोटा भाई कहीं बाहर रहकर पढाई कर रहा है तो उसे कुसंगति (बुरी संगत) से बचने के लिए पत्र कैसे लिखें ! यह आज हम इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे ! यहाँ हमने निचे पत्र का format दिया है जिसकी सहायता से आप अपने भाई को पत्र लिख सकते है.
खुश रहो !
तुम्हारा पत्र ! यह पढ़कर अत्यंत हर्षअम परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हो ! परिवार के सभी लोग चाहते है की तुम परिश्रम से पढो और अच्छे अंक प्राप्त करो !
भाई ! मैं भली भांति जनता हु की तुम कर्तव्यनिष्ठ हो ! फिर भी मैं तुम्हारा ध्यान कुसंगति के कुप्रभाव की और आक्रष्ट कर रहा हूँ ! कुसंगति एक संक्रमण रोग की भांति है ! जब यह रोग किसी को लग जाता है, तो वह बड़ी कठनाई से ही इससे मुक्त हो पाता है ! एक बड़े विद्वान् ने कुसंगति की उपमा विषम ज्वर से दी है ! जिस प्रकार विषम ज्वर शिग्र छुटता नहीं, उसी प्रकार कुसंगति का प्रबह्व भी शीघ्र दूर नहीं हो पाता है ! वास्तव में कुसंगति ऐसी ही बुरी, घ्रणित और विप्द्जनक होती है ! बड़े-बड़े मनीषी तक कुसंगति में पड़ का अपने जीवन को बर्बाद करते देखे जाते हैं ! अत: इससे से बचने का प्रयास करना चाहिए ! यह भयानक रोग आजकल चारों और फेला हुआ है ! कितने की शिक्षार्थी और युवक इस विषेले रोग की भवंर में फंस कर सदेव के लिए सफलता से वंचित हो चुके है.
रोहित ! मुझे तुम पर पूरा भरोसा है ! तुम सदेव कुसंगति से बचने का प्रयास करते रहोगे ! सदिच्छा के लिए तुम्हारी दृढ़ता और बुराईयों से बचने के लिए तुम्हारा साहस ही तुम्हें सफल बनाएगा !
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,
तुम्हारा बड़ा भाई,
मोहन
कुसंगति से बचने के लिए छोटे भाई को पत्र ऐसे लिखें:-
प्रिय रोहित,खुश रहो !
तुम्हारा पत्र ! यह पढ़कर अत्यंत हर्षअम परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हो ! परिवार के सभी लोग चाहते है की तुम परिश्रम से पढो और अच्छे अंक प्राप्त करो !
भाई ! मैं भली भांति जनता हु की तुम कर्तव्यनिष्ठ हो ! फिर भी मैं तुम्हारा ध्यान कुसंगति के कुप्रभाव की और आक्रष्ट कर रहा हूँ ! कुसंगति एक संक्रमण रोग की भांति है ! जब यह रोग किसी को लग जाता है, तो वह बड़ी कठनाई से ही इससे मुक्त हो पाता है ! एक बड़े विद्वान् ने कुसंगति की उपमा विषम ज्वर से दी है ! जिस प्रकार विषम ज्वर शिग्र छुटता नहीं, उसी प्रकार कुसंगति का प्रबह्व भी शीघ्र दूर नहीं हो पाता है ! वास्तव में कुसंगति ऐसी ही बुरी, घ्रणित और विप्द्जनक होती है ! बड़े-बड़े मनीषी तक कुसंगति में पड़ का अपने जीवन को बर्बाद करते देखे जाते हैं ! अत: इससे से बचने का प्रयास करना चाहिए ! यह भयानक रोग आजकल चारों और फेला हुआ है ! कितने की शिक्षार्थी और युवक इस विषेले रोग की भवंर में फंस कर सदेव के लिए सफलता से वंचित हो चुके है.
रोहित ! मुझे तुम पर पूरा भरोसा है ! तुम सदेव कुसंगति से बचने का प्रयास करते रहोगे ! सदिच्छा के लिए तुम्हारी दृढ़ता और बुराईयों से बचने के लिए तुम्हारा साहस ही तुम्हें सफल बनाएगा !
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,
तुम्हारा बड़ा भाई,
मोहन
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